लेखनी प्रतियोगिता -17-Aug-2022 मन में रख नई उम्मीद तू
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक- मन में रख नयी उम्मीद तू
हे मनुष्य! क्यों कर रहा है तू आलस,
मन मैं कर तू उत्पन्न जागृत,
कर मन में एक नयी उम्मीद उत्पन्न,
बनेगा जीवन तेरा सफल।
नव निर्माण हो गया आरंभ,
पहली किरण ने किया आगाज,
कर रही है सबको आग्रह,
नयी ज्योत जला तेरे मन की राह पर,
सूरज फैला रहा अपना तपस,
मन में कर उत्पन्न अलख,
मन में ले तू संकल्प,
होगा तेरा जीवन सफल।
जब ढलती है सांझ,
सिखाती है हमें एक बात,
हर किसी की जिंदगी में होती है सांझ,
सांझ में होती है उम्मीद,
उस उम्मीद के साथ,
रोज आता है नया प्रभात,
फिर क्यों करता तू आलस,
कर तू मन को जागृत।
आई जब से रात,
लाया संग में अंधकार,
लाता संग में अज्ञान,
तमस को करने दूर,
प्रदीप्ति मान हुआ चांद,
अंधकार से ना डरो तुम,
दीया बनकर उत्पन्न करो प्रकाश।
दिन रात की भांति कर उम्मीद जागृत
हर पथ पर मिलेगी तुम्हें राह,
पीछे मुड़कर ना देख तू,
राह की ओर देख तू,
सूरज चांद की तरह अटल बन तू,
मन में रख नयी उम्मीद तू,
होगी जीवन में नई मंजिल की शुरुआत।
Madhumita
18-Aug-2022 11:48 AM
बहुत खूब
Reply
आँचल सोनी 'हिया'
18-Aug-2022 10:53 AM
Behtreen likha hai
Reply
Raziya bano
18-Aug-2022 10:21 AM
Bahut khub
Reply